‘अपध्नन्तो अराव्ण:’ मन्त्र का आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक अर्थ

आक्षेप संख्या १ (शेष) अपध्नन्तो अराव्ण: पवमाना: स्वर्दृश:। योनावृतस्य सीदत॥ (ऋ.९.१३.९) आधिभौतिक भाष्य १— (पवमाना:, स्वर्दृश:) सूर्य के समान तेजस्वी वेदवित् पवित्रात्मा व पुरुषार्थी राजा (अपघ्नन्त:, अराव्ण:) ऐसे नागरिक, जो धनवान् होने पर भी राष्ट्रहित में न्यायकारी राजा द्वारा लिये जाने वाले कर का भुगतान न करते हों अथवा कर चोरी करते हैं अथवा आवश्यक […]
‘अपध्नन्तो अराव्ण:’ मन्त्र का वैज्ञानिक अर्थ

आक्षेप संख्या १ (शेष) अपध्नन्तो अराव्ण: पवमाना: स्वर्दृश:। योनावृतस्य सीदत॥ (ऋ.९.१३.९) इस मन्त्र का आपने निम्नानुसार भाष्य उद्धृत किया है— “May you (O love divine), the beholder of the path of enlightenment, purifying our mind and destroying the infidels who refuse to offer worship, come and stay in the prime position of the eternal sacrifice.” […]
प्रथम आक्षेप की समीक्षा

सर्वप्रथम हम वेदों पर उठाये गये आक्षेपों का उत्तर दे रहे हैं। उसमें भी सबसे अधिक प्रक्षेप वेद का भेद साइट पर सुलेमान रजवी ने किये हैं। राजवी वेदों पर हिंसा एवं साम्प्रदायिकता का आरोप लगाते हुए लिखते हैं— आक्षेप संख्या १ – Vedas are terror manual which turns humans into savages. Many tribes were […]
वेदभाष्य का अधिकारी कौन ?

भूमिका भाग–2 । वेदों पर किये गये आक्षेपों का उत्तर आक्षेपों का समाधान करने से पूर्व हम यहाँ यह बताना चाहेंगे कि वेद भाष्यकारों ने वेदों के भाष्य करने में क्या-क्या भूलें की हैं। वेद की ईश्वरीयता एवं सर्वविज्ञानमयता को अच्छी प्रकार समझने के लिए ‘वैदिक रश्मि विज्ञान’ ग्रन्थ अवश्य पढ़ना चाहिए। जब तक वेद […]
वेदों पर किये गये आक्षेपों का उत्तर

भूमिका सभी वेदानुरागी महानुभावो! जैसा कि आपको विदित है कि मैंने विगत श्रावणी पर्व वि० सं० २०८० तदनुसार ३० जुलाई २०२३ को सभी वेदविरोधियों का आह्वान किया था कि वे वेदादि शास्त्रों पर जो भी आक्षेप करना चाहें, खुलकर ३१ दिसम्बर २०२३ तक कर सकते हैं। हमने इस घोषणा का पर्याप्त प्रचार किया और करवाया […]
जब हिमालय रो पड़ा…

हिमालय इस भूमंडल का एक सर्वाधिक पवित्र पर्वत रहा है। यह देव भूमि व ऋषियों की तपःस्थली के रूप में सर्वत्र विख्यात रहा है। इस महान् नगराज ने अपनी पवित्र गोद में परमयोगिराज भगवत्पाद महादेव शिवजी एवं योगेश्वरी भगवती उमा देवी के साथ योग साधना के साथ-साथ वैदिक विज्ञान के द्वारा ब्रह्मांड के गंभीर रहस्यों […]
भटके नास्तिक युवकों के लिए सन्देश
जीव विज्ञान जहाँ समाप्त होता है, वहाँ भौतिक विज्ञान प्रारम्भ होता है, जहाँ भौतिक विज्ञान समाप्त होता है, वहाँ वैदिक भौतिकी का प्रारम्भ होता है और जहाँ वैदिक भौतिकी समाप्त होती है, वहाँ वैदिक अध्यात्म-विज्ञान प्रारम्भ होता है। डार्विन-विकासवाद के समर्थकों को जीव विज्ञान से आगे सोचने का प्रयास करना चाहिए, तभी उन्हें अपने नेचुरल […]