विशेष वक्तव्य हम यहाँ वेद के कुछ उन मन्त्रों को उद्धृत करते हैं, जिनमें केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु प्राणिमात्र के प्रति अत्यन्त प्रेम और आत्मीयतापूर्ण व्यवहार की बात की गई है। मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे। (यजु.36.18) अर्थात् प्राणिमात्र के प्रति मित्र के समान व्यवहार करें। समानी प्रपा सह वोऽन्नभाग:। (अथर्व.3.30.6) अर्थात् हम सब मनुष्यों के […]