
विशेष वक्तव्य हम यहाँ वेद के कुछ उन मन्त्रों को उद्धृत करते हैं, जिनमें केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु प्राणिमात्र के प्रति अत्यन्त प्रेम और आत्मीयतापूर्ण व्यवहार की बात की
विशेष वक्तव्य हम यहाँ वेद के कुछ उन मन्त्रों को उद्धृत करते हैं, जिनमें केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु प्राणिमात्र के प्रति अत्यन्त प्रेम और आत्मीयतापूर्ण व्यवहार की बात की
आक्षेप संख्या—२ यहाँ सुलेमान रजवी ने ऋग्वेद ७.६.३ के दो भाष्य निम्र प्रकार उद्धृत किये हैं— Rig Veda 7.6.3 “May the fire divine chase away those infidels, who do not
आक्षेप संख्या १ (शेष) अपध्नन्तो अराव्ण: पवमाना: स्वर्दृश:। योनावृतस्य सीदत॥ (ऋ.९.१३.९) आधिभौतिक भाष्य १— (पवमाना:, स्वर्दृश:) सूर्य के समान तेजस्वी वेदवित् पवित्रात्मा व पुरुषार्थी राजा (अपघ्नन्त:, अराव्ण:) ऐसे नागरिक, जो
आक्षेप संख्या १ (शेष) अपध्नन्तो अराव्ण: पवमाना: स्वर्दृश:। योनावृतस्य सीदत॥ (ऋ.९.१३.९) इस मन्त्र का आपने निम्नानुसार भाष्य उद्धृत किया है— “May you (O love divine), the beholder of the path
सर्वप्रथम हम वेदों पर उठाये गये आक्षेपों का उत्तर दे रहे हैं। उसमें भी सबसे अधिक प्रक्षेप वेद का भेद साइट पर सुलेमान रजवी ने किये हैं। राजवी वेदों पर
भूमिका भाग–2 । वेदों पर किये गये आक्षेपों का उत्तर आक्षेपों का समाधान करने से पूर्व हम यहाँ यह बताना चाहेंगे कि वेद भाष्यकारों ने वेदों के भाष्य करने में
भूमिका सभी वेदानुरागी महानुभावो! जैसा कि आपको विदित है कि मैंने विगत श्रावणी पर्व वि० सं० २०८० तदनुसार ३० जुलाई २०२३ को सभी वेदविरोधियों का आह्वान किया था कि वे
क्या उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकाण्ड को देश में आईएसआईएस अथवा तालिबानी क्रूरता के प्रवेश का संकेत है? आज पुलिस व न्यायालय दोनों के प्रति विश्वास डगमगाया है। अब हम सबको
मैंने सभी महानुभावों से निम्न विषयों पर अपने विचार प्रकट करने हेतु कहा था – वेद की वैज्ञानिकता को कैसे सिद्ध किया जा सकता है? वेद में ऐसा क्या विशेष
वेद में विज्ञान के साथ-साथ सभी प्रकार का ज्ञान सूत्ररूप में विद्यमान है और भारत देश वेदविद्या के कारण विश्वगुरु रहा है, ऐसा हम बहुत लम्बे काल से सुनते व
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