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22 June 2022
महती शुभ सूचना (निरुक्त भाष्य पूर्ण)
आनन्दकन्द परमपिता परमेश्वर की असीम कृपा से एवं आप सभी सहयोगी महानुभावों के सहयोग व श्रद्धा से मैं महर्षि यास्ककृत निरुक्त का वैज्ञानिक भाष्य पूर्ण हो चुका है। अब मैं इसकी भूमिका लिखना प्रारम्भ करूँगा। मैंने कुछ समय पूर्व एक सोशल मीडिया के माध्यम से विद्वानों की सेवा में एक निवेदन प्रकाशित किया था कि यदि किसी के मन में निरुक्त शास्त्र सम्बन्धी कोई गम्भीर शंकाएँ हों, तो वे ईमेल द्वारा मुझे अवगत करा सकते हैं, जिससे मैं उनका समाधान इस ग्रन्थ में कर सकूँ। अभी तक हमें किसी ने कोई भी शंका प्रेषित नहीं की है। यदि अब भी कोई ऐसा कर सकें, तो भेजने का कष्ट करें, मैं उनका समाधान भूमिका में करने का प्रयास करूँगा। इस समय मेरे शिष्य व मानस पुत्र एवं इस संस्था में उपाचार्य पद पर पिछले लगभग सवा 6 वर्षों से कार्यरत प्रिय विशाल आर्य एवं उनकी सुयोग्य धर्मपत्नी श्रीमती मधुलिका आर्या इस ग्रन्थ का संपादन व ईक्ष्यवाचन (प्रूफरीडिंग) का कार्य कर रहे हैं। आशा है एक-डेढ़ वर्ष में यह ग्रन्थ आपको उपलब्ध हो सकेगा।
मेरे प्रियजनो! ‘वेदविज्ञान-आलोक:’ एवं मेरा निरुक्त भाष्य, ये दो ग्रन्थ ऐसे ग्रन्थ होंगे, जो संसार के सभी उच्च शिक्षित वेद विरोधियों के वेदविरुद्ध चलाए जा रहे सभी षड्यंत्रों को निर्मूल करने में समर्थ होंगे। इन ग्रन्थों के रहते कोई भी वैज्ञानिक प्रतिभा वाला व्यक्ति वेद पर कुदृष्टि डालने का साहस नहीं कर पाएगा। यदि वह व्यक्ति वास्तव में वेद वा आर्ष ग्रन्थों के वर्तमान में उपलब्ध भाष्यों से भ्रमित वा क्षुब्ध होकर वेदविरोधी बना है, तब उस ऐसे वास्तविक जिज्ञासु को मेरे ये दोनों ग्रन्थ संजीवनी का कार्य करेंगे और उसकी मृत वेद निष्ठा पुनर्जीवित हो उठेगी।
ये दोनों ग्रन्थ वेद की ईशवरीयता व सर्वविज्ञानमयता को सिद्ध करने के लिए अविचल आधार का कार्य करेंगे और वर्तमान भाष्यों से निराश बुद्धिजीवियों में नव आशा व उत्साह का संचार करने में समर्थ होंगे। इन ग्रन्थों का यह पूर्ण सामर्थ्य होगा कि वर्तमान विकसित भौतिक विज्ञान कम से कम एक सदी के लिए अनुसंधान हेतु पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कर सके और सम्पूर्ण विज्ञान जगत् को नवीन क्रान्तिकारिणी व सर्वहितकारिणी दिशा मिल सके। इससे सम्पूर्ण विश्व सच्चे अध्यात्म व निरापद विज्ञान व तकनीक के युग में प्रवेश कर सकेगा। ऋषियों की महती प्रज्ञा की सम्पूर्ण विश्व में विजय होगी। आवश्यकता है हमारी सरकारों, समाज, राष्ट्र व विश्व के नीतिनिर्धारकों व जनता में विवेक, निष्पक्षता व सच्ची मानवता के उदय होने की। मैं नहीं जानता कि ऐसा सौभाग्य कब उदित होगा?
मेरे प्रियजनो! निरुक्त भाष्य के प्रकाशन हेतु कुछ उदार भामाशाहों ने पूर्व से ही अपना कुछ सहयोग हमें भेज दिया था। आप सभी हमें निरन्तर आर्थिक, मानसिक व आत्मिक सहयोग करते रहे हैं वा कर रहे हैं। अभी यात्रा बहुत लम्बी करनी है। मैं ट्रस्ट से जुड़े सभी सहयोगियों व वैदिक भौतिकी परिवार के सदस्यों का बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। ईश्वर आपको सभी सुख प्रदान करें और आपका उत्साह निरन्तर बढ़ता रहे, यही कामना है।
आपका अपना ही
-आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
22 June 2022
भारत के एक प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक के साथ मेरा संवाद